चीन के दावे शुरू से ही हास्यास्पद, अरुणाचल को अपने देश का हिस्सा बताने वाले ड्रैगन पर खूब बरसे जयशंकर
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सिंगापुर की धरती पर विदेश मंत्री एस जयशंकर में एक ही स्वर में चीन और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है। विदेश मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करने के लिए चीन को आड़े हाथों लिया।

इसके अलावा एस जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के प्रयास में भारत कभी आतंकवाद को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। उल्लेखनीय है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। यहां वह एक समर स्मारक पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज के सैनिकों को श्रद्धांजलि भी देंगे।

अरुणाचल पर चीन का दावा हास्यास्पद: जयशंकर
विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन को दो टूक जवाब देते हुए कहा, “अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे शुरू में हास्यास्पद थे और आज भी हास्यास्पद बने हुए हैं क्योंकि यह भारत का स्वाभाविक हिस्सा है।” केंद्रीय मंत्री ने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज (आईएसएएस) में अपनी लिखित पुस्तक ‘व्हाई भारत मैटर्स’ पर व्याख्यान सत्र के बाद आयोजित सवाल-जवाब दौरान यह बयान दिया।

उनकी यह टिप्पणी चीन द्वारा एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश मुद्दे को उठाने के बाद आई है। बीते दिनों चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश को चीन के क्षेत्र का स्वाभाविक हिस्सा बताया था। बाद में एक बयान में विदेश मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न हिस्सा बताते हुए दावों को बेतुका कहकर खारिज कर दिया।

पाकिस्तान को भी खूब सुनाया
वहीं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने पर जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान अब लगभग उद्योग स्तर पर आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है, ऐसे में और भारत का मूड फिलहाल आतंकवादियों को नजरअंदाज करने का नहीं है। विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पोषित आतंकवाद पर कहा, “यह एक बार होने वाली घटना नहीं है…बल्कि यह निरंतर चलती रहती है। वहां यह लगभग उद्योग स्तर पर शामिल है, इसलिए हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि खतरे का सामना करने के लिए एक तरीका ढूंढना होगा।”

पाकिस्तान के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने आगे आश्चर्य जताया कि कोई ऐसे पड़ोसी से कैसे निपट सकता है जो इस तथ्य को नहीं छिपाता है कि वे आतंकवाद को शासन के साधन के रूप में उपयोग करते हैं। विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों पर एक सवाल के जवाब में कहा, “हर देश एक स्थिर पड़ोस चाहता है…अगर और कुछ नहीं तो आप कम से कम एक शांत पड़ोसी तो चाहते ही हैं।”

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