पाकिस्तान में आसान नहीं प्रधानमंत्रियों की जिंदगी
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पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को हाई कोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके साथ ही पाकिस्तान के इतिहास में एक और नाम जुड़ गया, जिसकी जिंदगी सामान्य नहीं रही। बता दें कि अभी तक पाकिस्तान में अलग-अलग वक्त में तमाम प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों को ऐसे दौर से गुजरना पड़ा।
किसी को यहां से भागना पड़ा तो किसी को मरना पड़ा और किसी को इमरान खान जैसे ऐक्शन का सामना भी करना पड़ा। एक नजर पाकिस्तानी सियासत के इस स्याह इतिहास पर।
लियाकत अली बेग को पार्क में मारी थी गोली
लियाकत अली बेग पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे। 16 अक्टूबर, 1951 को वह रावलपिंडी में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना के तुरंत बाद पुलिस ने उस हत्यारे को मार गिराया। बाद में इस हत्यारे की पहचान सईद अकबर के रूप में हुई। बताया जाता है कि वह अफगानिस्तान का नागरिक था और पेशेवर हत्यारा था। यह भी दावा किया जाता है कि लियाकत अली खान की हत्या से पहले वह पाकिस्तानी पुलिस का जवान था।
जुल्फिकार अली भुट्टो का ऐसा हाल
जुल्फिकार अली भुट्टो का हश्र भी कुछ ऐसा ही रहा। भुट्टो 1973 से 1977 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले वह अयूब खान के शासनकाल में विदेश मंत्री रहे थे। भुट्टो ने पाकिस्तान का प्रधानमंत्री रहते हुए वहां के परमाणु प्रोग्राम का ढांचा भी तैयार किया था। हालांकि बाद में भुट्टो को 1979 में वहां की सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फांसी पर लटका दिया गया। पाकिस्तान में उस वक्त जनरल जिया उल हक का मिलिट्री शासन था। माना जाता है कि भुट्टो को फांसी देने में जनरल जिया उल हक का ही हाथ है।
बेनजीर भुट्टो को कर दिया था गोलियों से छलनी
बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री थीं। वह पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी थीं। 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में बेनजीर को गोलियों से छलनी कर दिया गया। हालांकि बेनजीर को बहुत हाई लेवल का सिक्योरिटी मिली हुई थी, इसके बावजूद फायरिंग में उनकी मौत हो गई। हैरानी की बात यह भी रही कि बेनजीर भुट्टो के शव का पोस्टमार्टम तक नहीं हो पाया। आज भी बेनजीर भुट्टो के हत्यारे पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सके हैं।
परवेज मुशर्रफ भी हुए थे निर्वासित
परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति और सेना प्रमुख थे। 1999 में नवाज शरीफ सरकार का तख्ता पलटकर मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने। वह 20 जून, 2001 से 18 अगस्त 2008 तक इस पद पर रहे। हालांकि पद छोड़ने के बाद उनके लिए चीजें आसान नहीं रहीं। मुशर्रफ के ऊपर कई मुकदमे चलाए गए और इसके चलते उन्होंने पाकिस्तान भी छोड़ दिया था।
नवाज शरीफ को छोड़ना पड़ा था देश
कुछ ऐसा ही हाल नवाज शरीफ का भी हुआ। वह तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे। इसके बावजूद भी पद छोड़ने के बाद उन्हें सुकून से रहना नसीब नहीं हुआ। जनरल परवेज मुशर्रफ के शासनकाल में पाकिस्तान की आतंक-विरोधी अदालत ने नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के अपराध में दोषी करार दिया था। बाद में सऊदी अरब की मध्यस्तता से शरीफ बचे और उन्हें जेद्दा निर्वासित कर दिया गया था। बाद में अगस्त 23, 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ को पाकिस्तान वापस आने की परमिशन दी। लेकिन 10 सितंबर, 2007 को जब शरीफ इस्लामाबाद लौटे तेा उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस लौटा दिया गया।

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