मेरठ लोकसभा सीट समीकरणः भाजपा केराम के सामने सपा की ‘सबरी’, बेहद रोचक हुआ मुकाबला
Sharing Is Caring:

पश्चिमी यूपी के मेरठ लोकसभा का चुनाव इस बार बेहद अहम होने के साथ ही चर्चित हो चुका है। यह सीट यूपी की हॉट सीट बन गई है। यहां से भाजपा ने लगातार तीन बार से सांसद चुने जा रहे राजेंद्र अग्रवाल की जगह टीवी सीरियल रामायण के राम अरुण गोविल को मैदान में उतारकर चुनाव को बेहद रोचक और ग्लैमरस कर दिया है।

उनके प्रचार में भी बॉलीवुड के अभिनेता-अभिनेत्री पहुंच रहे हैं। अरुण गोविल का मुकाबला सपा की दलित प्रत्याशी सुनिता वर्मा हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि भाजपा के ‘राम’ के सामने सपा की ‘सबरी’ में मुकाबला हो रहा है। मेरठ लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें किठौर, मेरठ कैंट, मेरठ, मेरठ दक्षिण और हापुड़ आते हैं। तीन सीटों पर भाजपा और दो सीटों पर सपा का कब्जा है।

पिछले लोकसभा चुनाव में बेहद कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल ने हैट्रिक लगाई थी। उन्होंने केवल 4729 मतों से बसपा के हाजी मोहम्मद याकूब को हराया था। राजेंद्र अग्रवाल को 586,184 वोट और बसपा के हाजी मोहम्मद याकूब को 581,455 वोट मिले थे। जबकि इससे पहले 2014 के चुनाव में राजेंद्र अग्रवाल करीब सवा दो लाख वोटों से जीते थे।

मुस्लिम बाहुल्य सीट पर सपा-बसपा के भी हिन्दू प्रत्याशी
मेरठ लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा छह लाख मुस्लिम मतदाता है। इसके बाद दलित तीन लाख हैं। वैश्य करीब ढाई लाख हैं। ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 70 हजार और जाट वोटरों की सख्या 60 हजार है। गुर्जर और त्यागी भी 60-60 हजार हैं। ठाकुर और सैनी 50-50 हजार हैं। इसके अलावा कश्यप की संख्या 45 हजार और पंजाबी की संख्या 30 हजार है। मुस्लिम बाहुल्य सीट होने के बाद भी सपा-बसपा किसी ने मुस्लिम प्रत्याशी यहां नहीं दिया है। जाति समीकरण के कारण ही सपा ने तीन बार यहां पर प्रत्याशी बदला है। पहले अखिलेश यादव ने भानु प्रताप को टिकट दिया और फिर उनका नाम काटकर अतुल प्रधान को टिकट दे दिया। अंतिम समय में अतुल प्रधान की जगह दलित सुनीता वर्मा को मैदान पर उतार दिया है। सपा को भरोसा है कि मुस्लिम-दलित गठजोड़ के जरिए वह इस सीट को जीत लेगी।

बसपा ने त्यागी समुदाय से देवव्रत त्यागी को मैदान में उतारा है। मायावती की नजर मुस्लिम-दलित के साथ-साथ राजपूत और त्यागी समुदायों पर भी है। मेरठ में ज्यादातर राजपूत-त्यागी समुदाय ने बीजेपी के प्रति अपना असंतोष जताया है। बसपा मुस्लिम-दलित के साथ-साथ बीजेपी का विरोध करने वाले हिंदू वोटर्स को लुभाने की कोशिश में है। इससे पहले के दो लोकसभा चुनाव में बसपा ने मुस्लिम कैंडिडेट ही मैदान में उतारा था। इस बार रणनीति बदली है।

दिल्ली से करीब लखनऊ से दूर
मेरठ जिला देश की राजधानी नई दिल्ली से केवल 70 किलोमीटर दूर है जबकि यूपी की राजधानी लखनऊ से इसकी दूरी 453 किलोमीटर है। यह शहर खेल से जुड़े विश्वस्तरीय उत्पादों के लिए खास पहचान रखता है। इसकी अपनी अलग ही राजनीतिक पहचान रही है। गंगा और यमुना के बीच बसे मेरठ शहर की विरासत बहुत पुरानी है। इसे प्राचीन शहर माना जाता है क्योंकि सिंधु घाटी सभ्यता के निशान भी यहां पर मिले हैं।

इसके साथ ही संगीत वाद्ययंत्र मामले में सबसे बड़ा उत्पादक है। 1857 की क्रांति का बिगुल इसी मेरठ में बजा था और फिर तेजी से देश में कोने-कोने तक पहुंचा था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मय असुरों का वास्तुकार था। उनकी बेटी मंदोदरी रावण की पत्नी थी। महाभारत के दौर में कौरवों की राजधानी हस्तिनापुर में थी, जो आज के मेरठ में ही स्थित है। मध्यकालीन दौर में इस शहर की इंद्रप्रस्थ (वर्तमान दिल्ली) से निकटता की वजह से इस क्षेत्र की अहम पहचान बनी रही।

अब तक बने सांसद
1952 शाह नवाज खान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1957 शाह नवाज खान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1962 शाह नवाज खान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967 महाराज सिंह भारती संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1971 शाह नवाज खान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977 कैलाश प्रकाश जनता पार्टी
1980 मोहसिना किदवई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1984 मोहसिना किदवई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1989 हरीश पाल जनता दल
1991 हिंसा के कारण चुनाव रद्द
1994 अमर पाल सिंह भारतीय जनता पार्टी
1996 अमर पाल सिंह भारतीय जनता पार्टी
1998 अमर पाल सिंह भारतीय जनता पार्टी
1999 अवतार सिंह भड़ाना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2004 मो शाहिद अखलाक बहुजन समाज पार्टी
2009 राजेंद्र अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी
2014 राजेंद्र अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी
2019 राजेंद्र अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी

Sharing Is Caring:

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *