
नियंत्रण रेखा यानि एलओसी पर पिछली दो रातें शांतिपूर्ण ढंग से गुजरी हैं। काफी दिनों के बाद फौजी और उसका परिवार चैन की नींद सो रहा है। यह सब युद्ध विराम के कारण हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच यह समझौता हुआ था। यह निर्णय लिया गया कि पाकिस्तान कोई भी नापाक हरकत नहीं करेगा। अगर ऐसा किया गया तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। यह युद्धविराम 10 मई को शाम 5 बजे से लागू हुआ। कुछ लोग इस फैसले को भारत की जीत बता रहे हैं तो कुछ लोग संघर्ष विराम पर सवाल उठा रहे हैं।जो लोग युद्ध विराम पर सवाल उठा रहे हैं, वे कह रहे हैं कि भारत ने अमेरिका के सामने घुटने टेक दिए। अमेरिका को कश्मीर मुद्दे में शामिल होने का मौका मिला। पीओके पर भी कब्जा करने का अच्छा मौका था। हालांकि, उनका यह सवाल वाजिब भी है, क्योंकि मोदी सरकार ने भी पीओके की वापसी की उम्मीद जताई है। वरना, जब तक नरेन्द्र मोदी सत्ता में नहीं आए, तब तक कौन पीओके की बात करता था। हर कोई केवल कश्मीर के बारे में बात करता था। अब देशवासी कश्मीर से आगे बढ़कर पीओके की बात करते हैं। पीएम मोदी ने सोमवार को अपने संबोधन में भी कहा है कि अब बात कश्मीर पर नहीं, बल्कि पीओके पर होगी।
भारत ने बढ़त बनाई
जो लोग भारत के युद्धविराम के निर्णय पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि भारत ने यह निर्णय अपनी शर्तों पर लिया है। भारत ने युद्ध विराम के लिए बात नहीं की। भारतीय सेना पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रही थी। उसने पाकिस्तान के कई एयरबेस नष्ट कर दिये थे। सेना का यह क्रूर रूप देखकर पाकिस्तान तिलमिला उठा और शांति की भीख मांगने लगा। भारत ने पहले ही पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया था, साथ ही उसे यह भी बता दिया था कि अब किसी भी आतंकवादी हमले को युद्ध माना जाएगा। अर्थात् पाकिस्तान की किसी भी कार्रवाई को भारत युद्ध ही मानेगा। अगर वह गोली चलाएगा तो सेना उस पर गोली चलाएगी।
इसका उद्देश्य आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना था
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सेना और सरकार ने पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाना शुरू कर दिया था। लगातार बैठकें हो रही थीं। एक योजना तैयार की जा रही थी। लेकिन इस बीच आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई का भी इंतजार किया जा रहा था। शाहबाज शरीफ और जनरल मुनीर ऐसा करने में विफल रहे, जिसके बाद भारत को 6 मई (मंगलवार) की देर रात ऑपरेशन सिंदूर शुरू करना पड़ा।
25 मिनट तक चले इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पीओके और पाकिस्तान में 9 ठिकानों पर हमला कर 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया। इसमें जैश और लश्कर के शीर्ष आतंकवादी मारे गए। सेना से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इस कार्रवाई से भारत ने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है। भारतीय सेना का लक्ष्य आतंकवादियों को नुकसान पहुंचाना था।
जैश प्रमुख मसूद अजहर ने भी बताया है कि आतंकियों का क्या हुआ। उन्होंने कहा कि भारत के हमले में मेरे परिवार के 10 सदस्य मारे गए। उसका पूरा परिवार चला गया था। सूत्रों के अनुसार, इसके बाद भारत को पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करनी थी, लेकिन मुनीर की सेना ने भारत को आगे की कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया।
पाकिस्तान की बहादुरी को मिला करारा जवाब
आतंकवादियों के खिलाफ भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान की सेना बौखला गई है। उसने जम्मू, पंजाब, गुजरात और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन हमले शुरू कर दिए हैं। इस नापाक कार्रवाई से मुनीर की सेना भारत को कोई नुकसान तो नहीं पहुंचा पाई, लेकिन इससे भारत का गुस्सा और भड़क गया।
इसके बाद भारतीय सेना ने ऐसा जवाब दिया जिसे पाकिस्तान अगली सात पीढ़ियों तक याद रखेगा। भारत ने उसके सैन्य ठिकानों पर हमला किया। एक प्रमुख एयरबेस नष्ट हो गया। भारतीय सेना पाकिस्तान में घुसकर उसे मार रही थी। भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान बौखला गया। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि ड्रोन और मिसाइल हमले का ऐसा जवाब मिलेगा। सैन्य ठिकानों पर हमला करने के बाद भारत को बढ़त हासिल हुई। इस कारण वह भी युद्ध विराम के लिए सहमत हो गया। भारतीय सेना जानती है कि उसने जो लक्ष्य रखा था, वह हासिल कर लिया है। अगली बार पाकिस्तान भारत पर हमला करने से पहले दस बार सोचेगा।
इसका उत्तर 9-10 मई की कार्रवाई में निहित है।
9 मई को देश के कई हिस्सों में ब्लैकआउट हो गया था। रात को पाकिस्तान ने ड्रोन से हमला किया। उसी दिन देर रात पाकिस्तान को जवाब मिल गया। भारत ने उस पर तीव्र आक्रमण किया। रात 12 बजे से सुबह 4 बजे के बीच 11 वार किए गए। ये सारे हमले पाकिस्तान की छाती पर थे।
कई एयरबेस नष्ट हो गये। इसमें रावलपिंडी, सरगोधा और जैकोबाबाद के नूर खान शामिल हैं। ये हमले भी पाकिस्तान के परमाणु स्थल के पास हुए। उसी समय पाकिस्तान में भूकंप आया। पहला भूकंप सुबह 1:44 बजे आया जिसकी तीव्रता 4.1 थी, तथा दूसरा भूकंप सुबह 3:40 बजे आया जिसकी तीव्रता 5.7 थी। इसके बाद शहबाज शरीफ ने 10 मई को सुबह करीब 8 बजे एनसीए की बैठक बुलाई। सुबह 10.30 बजे भारतीय विदेश मंत्रालय और सेना की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इसमें बताया गया कि पाकिस्तान को कहां और कितना नुकसान हुआ। दुनिया में हलचल मच गई। हॉटलाइन पर घंटी बजने लगी।