
PoK की कब और कैसे होगी वापसी? समझें क्या है भारत का बड़ा प्लान
पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक बार फिर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को लेकर देश में बहस तेज़ हो गई है। इस मुद्दे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयानों ने जनता के बीच उम्मीदें जगा दी हैं कि शायद अब पीओके भारत का हिस्सा बन सकता है — बिना युद्ध के, बातचीत से।
राजनाथ सिंह का बड़ा बयान: “पीओके खुद कहेगा, मैं भारत में रहना चाहता हूँ”
रक्षा मंत्री ने कहा कि “अब बात सिर्फ पीओके की होगी” और भविष्य में पीओके खुद भारत में शामिल होने की बात करेगा। उनका इशारा इस ओर था कि पाकिस्तान की बदहाल हालत और भारत के तेज़ी से बढ़ते विकास को देखकर पीओके की जनता खुद आवाज़ उठाएगी। यह बयान एक रणनीतिक सोच की ओर इशारा करता है — शक्ति के साथ संयम।
क्या यह सिर्फ बयान है या रणनीति का हिस्सा?
जब सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री बार-बार पीओके का जिक्र करते हैं और सिर्फ बातचीत की बात करते हैं, तो सवाल उठता है — क्या ये नई नीति का संकेत है?
पीओके को भारत में शामिल कराने के दो रास्ते हो सकते हैं:
- युद्ध के जरिए
- बातचीत और कूटनीति के जरिए
हालिया बयानों से साफ है कि सरकार युद्ध से ज्यादा कूटनीति और जनता के असंतोष पर भरोसा कर रही है।
पीओके की हालत बदतर, क्यों खुद आवाज़ उठा सकती है वहां की जनता?
पीओके में:
- विकास नहीं के बराबर
- बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी सुविधाओं की भारी कमी
- पाकिस्तानी सेना का दबदबा
- चीन का हस्तक्षेप और कब्जा
वहीं जम्मू-कश्मीर में:
- तेज़ विकास
- 2.2 लाख करोड़ की जीडीपी
- 106,000 करोड़ से ज़्यादा का बजट
- 35 कॉलेज और यूनिवर्सिटी
पीओके की जीडीपी सिर्फ 77,723 करोड़ और बजट सिर्फ 7921 करोड़ है।
लोग खुद तुलना कर रहे हैं — और यही बदलाव की सबसे बड़ी ताकत बन सकता है।
पीओके का इतिहास: कैसे हुआ पाकिस्तान के कब्जे में?
- 12 अगस्त 1947: राजा हरि सिंह ने कश्मीर को स्वतंत्र रखने का फैसला किया।
- 22-24 अक्टूबर: पाकिस्तान ने कबायली लड़ाकों के जरिए कश्मीर पर हमला करवाया।
- 26 अक्टूबर: हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी और विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए।
- 27 अक्टूबर: भारतीय सेना श्रीनगर पहुंची।
- 1948-49: युद्धविराम हुआ और कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया।
पाकिस्तान ने पीओके को तीन हिस्सों में बांटा
- गिलगित-बाल्टिस्तान (14 जिले)
- मूल पीओके (10 जिले)
- अक्साई चीन वाला इलाका (5180 वर्ग किमी पाकिस्तान ने चीन को दे दिया)
यह विभाजन सिर्फ राजनीतिक ही नहीं, रणनीतिक रूप से भी भारत के लिए चुनौती है, खासतौर पर चीन-पाकिस्तान गठजोड़ की वजह से।
भारत को क्या मिलेगा अगर पीओके वापिस आया?
- चीन-पाकिस्तान के संपर्क का अंत
- सीधी सीमा अफगानिस्तान से
- कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बड़ा झटका
- सुरक्षा दृष्टि से मजबूती
- अखंड भारत की ओर एक कदम
थलसेना प्रमुख से गुरु दक्षिणा में मांगा गया पीओके
मध्य प्रदेश के सतना में जब थल सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य से मिले, तो गुरु ने गुरु दक्षिणा में पीओके मांग लिया। सेना प्रमुख ने भी जवाब में कहा — “गुरु दक्षिणा जरूर देंगे।”
विदेश मंत्रालय का भी स्पष्ट संदेश
गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि “अब पाकिस्तान से बातचीत केवल पीओके के मुद्दे पर होगी।” यह भारत की नीति में एक स्पष्ट बदलाव का संकेत है — जहां अब पाकिस्तान को रक्षात्मक मोड में ला दिया गया है।
क्या पीओके खुद भारत में आएगा?
यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी कि पीओके खुद ही भारत में शामिल हो जाएगा। लेकिन:
- पीओके की बदतर हालत
- पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता
- भारत का प्रभावशाली विकास
- अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा
ये सभी कारक मिलकर ऐसा माहौल बना सकते हैं जहाँ पीओके की जनता खुद भारत में शामिल होने की इच्छा ज़ाहिर करे।
अंतिम बात:
पीओके कोई सपना नहीं, एक संकल्प है।
भारत की संसद इसे अपना हिस्सा घोषित कर चुकी है।
अब जब सरकार, सेना और जनता एक सोच पर हैं,
तो वो दिन दूर नहीं जब यह सपना हकीकत में बदल सकता है।