
भारतीय राजनीति में राष्ट्रवाद और देशभक्ति हमेशा ही एक अहम और प्रभावशाली मुद्दा रहे हैं। खासतौर पर जब सेना या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी कोई महत्वपूर्ण घटना सामने आती है, तो राजनीतिक दलों की सक्रियता और भी बढ़ जाती है। हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) देशभर में सैनिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से “तिरंगा यात्रा” निकाल रही है। इसके तुरंत बाद कांग्रेस पार्टी ने भी भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता को सम्मानित करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए 20 मई से 30 मई तक ‘जय हिंद सभा’ का आयोजन करने की घोषणा की है।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस आयोजन का ऐलान करते हुए कहा कि हमें राष्ट्रीय सुरक्षा में हुई चूक, सरकार द्वारा इस पर लिए गए कदमों और अमेरिकी हस्तक्षेप पर सरकार की खामोशी को लेकर गंभीर सवाल उठाने चाहिए। इस समय भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राष्ट्रवाद के मुद्दे पर एक-दूसरे से टक्कर लेते नजर आ रहे हैं। जहां BJP अपने पारंपरिक राष्ट्रवादी एजेंडे को आगे बढ़ा रही है, वहीं कांग्रेस भी उसी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए भाजपा की रणनीतियों को चुनौती दे रही है। इसके बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या कांग्रेस ने भाजपा के राष्ट्रवाद-आधारित एजेंडे को ‘हाईजैक’ करने की कोशिश की है?
BJP का राष्ट्रवादी अभियान: तिरंगा यात्रा
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद BJP 13 मई से देशभर में ‘तिरंगा यात्रा’ निकाल रही है। इस यात्रा का उद्देश्य देशवासियों में एकता, राष्ट्रभक्ति और भारतीय सेना के प्रति सम्मान जागृत करना है। यह यात्रा देश के विभिन्न हिस्सों से होकर गुजर रही है, जिसमें पार्टी के नेता, कार्यकर्ता और आम लोग भी शामिल हो रहे हैं। भाजपा इसे एक गैर-राजनीतिक देशभक्ति अभियान के रूप में प्रस्तुत कर रही है।
कांग्रेस की जय हिंद सभा
BJP के इस ऐलान के कुछ ही समय बाद कांग्रेस ने भी “जय हिंद सभा” आयोजित करने का फैसला किया। कांग्रेस का कहना है कि इन सभाओं का उद्देश्य देश के स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को सम्मानित करना और संविधान की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना है। हालांकि, कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भाजपा की ‘तिरंगा यात्रा’ को राजनीतिक दृष्टिकोण से संतुलित करने की एक रणनीति हो सकती है।
राजनीतिक संदेश और आगामी चुनाव
इन दोनों अभियानों का मुख्य उद्देश्य आगामी चुनावों में राष्ट्रवादी भावनाओं को मजबूत करना है। जहां BJP “तिरंगा यात्रा” के माध्यम से अपनी राष्ट्रवादी छवि को और सशक्त बनाना चाहती है, वहीं कांग्रेस “जय हिंद सभा” के जरिए यह संदेश देना चाहती है कि देशभक्ति पर उसका भी उतना ही अधिकार है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किस अभियान को अधिक स्वीकार करती है – BJP की सशस्त्र बलों पर केंद्रित ‘तिरंगा यात्रा’, या कांग्रेस की ऐतिहासिक और संवैधानिक मूल्यों पर आधारित ‘जय हिंद सभा’? भाजपा और कांग्रेस के इस टकराव ने यह तो स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में “देशभक्ति” केवल भावनाओं का मुद्दा नहीं बल्कि राजनीतिक रणनीति का एक अहम हिस्सा बनेगी।