
Indus Valley Treaty: भारत ने पाकिस्तान को दो टूक संदेश दे दिया है— जब तक आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई नहीं होती और सिंधु जल संधि को नए सिरे से नहीं गढ़ा जाता, तब तक किसी भी स्तर पर कोई बातचीत नहीं होगी। पाकिस्तान ने कई बार बातचीत की कोशिश की, लेकिन भारत ने अपने रुख से जरा भी समझौता नहीं किया।
पाकिस्तान की अपीलें ठुकराईं, भारत का जवाब ‘ना’ में
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत से कई बार संपर्क साधा और अपील की कि सिंधु जल संधि को स्थगित करने के भारत के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए। उन्होंने भारत की जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी को कई पत्र भी भेजे और भरोसा दिलाया कि पाकिस्तान भारत की आपत्तियों पर चर्चा को तैयार है।
लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक आतंकवाद से जुड़ी उसकी गंभीर चिंताओं का समाधान नहीं होता और संधि को पूरी तरह नए ढांचे में नहीं ढाला जाता, तब तक किसी भी संवाद का सवाल ही नहीं उठता। देबाश्री मुखर्जी ने इस रुख की औपचारिक जानकारी पाकिस्तान को दे दी है।
पहलगाम हमले के बाद बड़ा फैसला
भारत ने यह सख्त कदम 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उठाया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। यह हमला भारत की सुरक्षा चिंताओं को और अधिक गहरा कर गया।
इसके बाद भारत ने 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में बनी सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया। यह संधि सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों— झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास और सतलुज— के जल के बंटवारे को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बनी थी।
अब भारत करेगा अपने हिस्से के पानी का पूरा उपयोग
भारत अब इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है कि सिंधु जल संधि के तहत अपने हिस्से के पानी का अधिकतम और प्रभावी उपयोग कैसे किया जाए। इसके लिए एक विस्तृत अध्ययन कराया जाएगा, जिसमें शामिल होंगे:
- जल संसाधनों का आधुनिक और कुशल प्रबंधन
- नए जल संरचनाओं का निर्माण
- भारत के जल अधिकारों का पूर्ण उपयोग
कूटनीतिक संदेश साफ: आतंक नहीं रुकेगा, तो पानी भी नहीं बहेगा
यह पूरी स्थिति पाकिस्तान के लिए न केवल कूटनीतिक बल्कि जल संकट के रूप में बड़ी चेतावनी है। भारत का संदेश स्पष्ट है— सीमा पार से आतंक बंद हो, तभी बातचीत शुरू होगी।