
Russia Ukraine War: रूस की पकड़ और मजबूत, पुतिन आर्मी ने ज़ोरिया में लहराया झंडा, यूक्रेन की 20% ज़मीन पर कब्जा
Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन इसके थमने के कोई संकेत नहीं हैं। यह संघर्ष अब और अधिक खतरनाक और जटिल हो गया है। एक ओर यूक्रेन, रूस की सीमाओं के भीतर हमले कर उसकी सुरक्षा को चुनौती दे रहा है, तो दूसरी ओर रूसी सेना लगातार यूक्रेन के नए क्षेत्रों पर कब्जा करती जा रही है।
ज़ोरिया पर रूस का कब्जा, 20% क्षेत्र पर नियंत्रण
रविवार को रूसी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि उसकी सेना ने यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र में स्थित ज़ोरिया नाम की बस्ती पर कब्जा कर लिया है। यह ताज़ा सफलता रूस के उस रणनीतिक अभियान का हिस्सा है जिसके तहत वह पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन में धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। इस कब्जे के साथ अब रूस यूक्रेन की लगभग 20 प्रतिशत जमीन पर नियंत्रण कर चुका है।
युद्ध का रिपोर्ट कार्ड: 1.12 लाख वर्ग किलोमीटर पर कब्जा
वॉर रिपोर्ट कार्ड-2025 और रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक रूस ने यूक्रेन के लगभग 1,12,000 वर्ग किलोमीटर भूभाग पर कब्जा कर लिया है। इसमें क्रीमिया, डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज़्झिया जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। यह आंकड़ा यूक्रेन के कुल क्षेत्रफल का लगभग पांचवां हिस्सा है।
धीमी लेकिन सुनियोजित बढ़त
रूस की यह बढ़त अचानक नहीं हुई है, बल्कि रणनीतिक और सुनियोजित है। ज़ोरिया, जो अवदीवका और चासिव यार के बीच स्थित है, एक ऐसा क्षेत्र है जो दोनों पक्षों के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत अहम माना जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस छोटे-छोटे शहरों को निशाना बनाकर धीरे-धीरे अपने नियंत्रण क्षेत्र का विस्तार कर रहा है।
यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई सीमित
हालांकि यूक्रेन ने पहले खेरसॉन और खारकीव क्षेत्रों में सफलता पाई थी, लेकिन 2024 के अंत और 2025 की शुरुआत में उसकी जवाबी कार्रवाइयां अपेक्षाकृत सीमित रही हैं। दूसरी ओर, रूस न केवल अपने कब्जे वाले क्षेत्रों को सुरक्षित बनाए रखने में सफल रहा है, बल्कि लगातार उन्हें विस्तार भी दे रहा है।
अंतरराष्ट्रीय आलोचना, लेकिन रूस बना हुआ है मज़बूत
रूस की ताज़ा कार्रवाई पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने एक बार फिर निंदा की है, लेकिन जमीन पर हालात कुछ और ही तस्वीर पेश कर रहे हैं। रूस, फिलहाल यूक्रेन में न सिर्फ टिके रहने में सफल है, बल्कि धीरे-धीरे अपनी रणनीतिक स्थिति को और मजबूत कर रहा है।
यह युद्ध अब केवल दो देशों की लड़ाई नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति-संतुलन और भू-राजनीतिक समीकरणों की भी एक बड़ी परीक्षा बन चुका है।