SBI ने बदला नियम, अब ATM से ट्रांजैक्शन फेल हुआ तो भरनी होगी पेनल्टी, जानिए क्या कहते हैं RBI के नियम

SBI ने बदला नियम, अब ATM से ट्रांजैक्शन फेल हुआ तो भरनी होगी पेनल्टी

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SBI ने बदला नियम, अब ATM से ट्रांजैक्शन फेल हुआ तो भरनी होगी पेनल्टी, आइये जानते हैं क्या कहते RBI के नियम। देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने ATM से पैसे निकालने के नियमों में बदलाव किया है अब यदि कस्टमर के खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं है और वह ATM से पैसे निकाल रहा है जिससे ट्रांजैक्शन फेल तो होगा ही, साथ ही अब उसके बैंक खाते से पेनाल्टी चार्ज भी काट लिया जायेगा। आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा जैसी बैंको में यह नियम पहले से ही लागू है।

SBI ने बदला नियम, आइये इस नए नियम को समझने का प्रयास करते हैं-

SBI की वेबसाइट के अनुसार अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस न होने पर कस्टमर अगर गलती से भी ATM से पैसे निकालने का प्रयास करता है तो ट्रांसक्शन फेल होने पर उसे ₹ 20 + GST देना होगा।

किस बैंक में ट्रांजैक्शन फेल होने पर कितनी पेनल्टी लगती है-

एसबीआई ₹20 + जीएसटी, एचडीएफसी ₹25 + जीएसटी, आईसीआईसीआई बैंक ₹25, कोटक महिंद्रा बैंक ₹25, यस बैंक ₹25 और एक्सिस बैंक भी ₹25 पेनल्टी चार्ज काटते हैं।

₹10,000 एटीएम से निकालने के लिए क्या ओटीपी डालना होगा?

SBI के एटीएम से ₹10,000 या इससे अधिक की रकम निकालने पर ओटीपी की जरूरत पड़ती है अब बैंक के सभी एटीएम पर यह सेवा 24 घंटे उपलब्ध है। एसबीआई ने ग्राहकों की सुरक्षा के लिए 1 जनवरी 2020 को यह सेवा शुरू की थी। इसके बाद से जब भी कोई कस्टमर एटीएम से 10,000 या उससे ज्यादा की रकम निकालता है तो एटीएम स्क्रीन पर ओटीपी डालने के लिए कहा जाता है यह कस्टमर के मोबाइल पर भेजा जाता है। यह सुविधा अभी सिर्फ एसबीआई के एटीएम पर ही उपलब्ध है। इसका फायदा आप सुबह 8:00 बजे से रात 8:00 बजे के बीच उठा सकते हैं।

क्या कहता है ट्रांजैक्शन फेल होने का नियम –

भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई ने 2019 में ऐसे फेल्ड ट्रांजैक्शन पर जिनके लिए कस्टमर जिम्मेदार होता है को लेकर बैंकों के लिए नियम बनाए थे उसके मुताबिक जब आप किसी एटीएम से कोई ट्रांजैक्शन करते हैं और वह फेल हो जाता है तो कस्टमर पर पेनाल्टी चार्ज लगता है लेकिन यह चार्ज उन्हीं मामलों में लगता है जिनके लिए कस्टमर की गलती हो। कस्टमर की गलती नहीं होती ऐसे मामलों में कस्टमर पर चार्ज नहीं लगाया जा सकता बल्कि उल्टा बैंकों को मुआवजा देना पड़ता है।

उदाहरण के तौर पर यदि कम्युनिकेशन लिंक्स में गड़बड़ी हो, एटीएम में कैश ना हो, या सेशन टाइमआउट जैसी कोई प्रॉब्लम हो जाए इन स्थितियों में बैंक ट्रांजैक्शन फेल होने का जिम्मेदार होता है और उसे आरबीआई को पेनल्टी देनी होती है। आरबीआई ने बैंकों के लिए फेल्ड ट्रांजैक्शन पर कस्टमर की शिकायतों के निपटारे के लिए टर्न अराउंड टाइम निश्चित किया है। इसे (TAT) के नाम से भी जाना जाता है।

टर्न अराउंड टाइम टाइम क्या है आइये समझते हैं –

एटीएम से कैश ना निकले और अकाउंट से कट जाए तो ऐसी शिकायतों के निपटारे के लिए RBI ने ट्रांसक्शन वाले दिन 1+ 5 (T+5) दिन के अंदर सेटलमेंट करना अनिवार्य होता है। अगर बैंक इस तय समय में कस्टमर को मनी ऑटो रिवर्सल या सेटलमेंट नहीं कर पाता है। अगर यह सेटलमेंट या रिवर्सल की अवधि 5 दिन के बाद अतिरिक्त समय क्रॉस करती है तो बैंक को प्रतिदिन ₹100 पेनल्टी के तौर पर कस्टमर को देना होता है। अगर बैंक ऐसा नहीं करते हैं तो कस्टमर इसकी शिकायत RBI के बैंकिंग लोकपाल में कर सकता है।

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